लखनऊ दुबग्गा मर्दा पुर ग्रीन सिटी में शुक्रवार को अवैध गैस गोदाम में हुए भीषण ब्लास्ट ने प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। गैस कटिंग के दौरान हुए इस हादसे में करीब आधा दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
घटना के तुरंत बाद पुलिस और दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया और इलाके को घेराबंदी कर ‘सुरक्षित’ घोषित कर दिया गया। लेकिन असली सवाल अब भी बना हुआ है: यह हादसा हुआ ही क्यों? और इससे कौन जवाबदेही लेगा?
ब्लास्ट और प्रशासन की सोई हुई जिम्मेदारी
शाम के समय हुए इस धमाके की गूंज ने पूरे इलाके को दहला दिया। घटना के दौरान गोदाम में गैस कटिंग का काम चल रहा था।यह गोदाम अवैध था।सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं था।किसी प्रकार की निगरानी और नियमों का पालन नहीं किया गया था।धमाके के बाद घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन सवाल यह है कि क्या इनकी जान इतनी सस्ती है कि इन्हें इस तरह के हादसे झेलने पड़ें?पहले भी दी गई थी चेतावनी, पर ध्यान कौन दे?
यह पहला मामला नहीं है जब अवैध गैस गोदामों की खबरें आई हैं। हमारी GNN न्यूज़ चैनल ने कुछ दिन पहले ही ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के बालागंज इलाके में अजीत गैस सर्विस द्वारा चलाए जा रहे अवैध गैस कटिंग का खुलासा किया था।
रिहायशी इलाके में चल रहे इन गैस गोदामों की जानकारी प्रशासन को दी गई थी। लेकिन पुलिस और संबंधित विभाग ने इसे गंभीरता से लेना जरूरी नहीं समझा।
अब इस धमाके के बाद यह सवाल उठना लाजमी है: क्या किसी और हादसे का इंतजार किया जा रहा था?
अवैध गोदाम-मौत को न्योता
दुबग्गा का यह अवैध गैस गोदाम न सिर्फ गैरकानूनी था, बल्कि सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए एक हादसे का इंतजार कर रहा था। यहां काम करने वाले कर्मचारियों को किसी प्रकार का प्रशिक्षण नहीं दिया गया। फायर सेफ्टी और इमरजेंसी प्रोटोकॉल जैसी बातें शायद किताबों में ही रह गईं। अधिकारियों और स्थानीय पुलिस की चुप्पी इस स्थिति को और गंभीर बनाती है।
भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें
अवैध गैस गोदाम चलाने के पीछे की कहानी में भ्रष्टाचार का एक गहरा साया नजर आता है। स्थानीय अधिकारियों की आंखों के नीचे ऐसे गोदाम बिना किसी रोक-टोक के चलते रहते हैं। नियमित निरीक्षण की प्रक्रिया महज एक औपचारिकता बनकर रह गई है।
“सिस्टम का हाल देख ऐसा लगता है जैसे जनता की जान की कीमत कुछ भी नहीं है।”
धमाके के बाद का मंज़र
धमाके के बाद घायलों के परिवार अस्पताल के बाहर खड़े हैं, आंखों में आंसू और दिल में चिंता। कई परिवारों का कहना है कि इस हादसे से बचा जा सकता था।“हमारी शिकायतें बार-बार नजरअंदाज की गईं,” एक स्थानीय निवासी ने बताया।
सवाल जो प्रशासन से पूछे जाने चाहिए
- इस अवैध गैस गोदाम को यहां चलने कैसे दिया गया?
- पहले की गई शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
- सुरक्षा मानकों की जांच किसकी जिम्मेदारी थी?
क्या सबक सीखेगा प्रशासन?
दुबग्गा में हुआ यह हादसा महज एक दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का एक जीता-जागता सबूत है। अब तक ऐसे हादसों से कोई सबक नहीं लिया गया। जनता से जुड़े मुद्दों को हल्के में लेना एक खतरनाक प्रवृत्ति बन गई है।
यह समय है जब प्रशासन को जवाबदेह ठहराया जाए। सवाल उठाने का समय है, ताकि आगे ऐसा कोई धमाका न हो जो परिवारों की खुशियां छीन ले।
“जनता की जान कोई हादसे में कुर्बान होने वाली चीज नहीं है। जिम्मेदारी और जवाबदेही दोनों जरूरी