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Homeप्रदेशउत्तर प्रदेशपंचमुखी हनुमान मंदिर में नववर्ष व्यक्त किये उद्गार

पंचमुखी हनुमान मंदिर में नववर्ष व्यक्त किये उद्गार

लखनऊ नववर्ष 2024 का कलैंडर बदल कर 2025 हो गया है । लेकिन भक्तों के द्वारा प्रभु की वंदना लगातार चल रही है ।इसी श्रृंखला में श्री संकट हरण पंचमुखी हनुमान मंदिर ट्रस्ट के द्वारा। वर्ष के प्रथम शनिवार को उद्गार कार्यक्रम का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया। जिसमें काव्य पाठ और भजनों की रसधार से भक्तों ने अपने प्रभु के समक्ष अपने उद्गार कविताओ और भजनों से प्रकट किये । लोक आंगन संस्कृती , साहित्य ,शिक्षा संस्थान की सचिव ज्योति किरन रतन ,ज्वाईन हैण्ड फाउण्डेशन, की सांस्कृतिक सचिव आई एम ए कल्चरल एण्ड एजूकेशन ट्रस्ट की सांस्कृतिक सचिव रतन सिस्टर्स एवम सदस्यों के संयुक्त तत्वावधान में काव्य पाठ का प्रारंभ मां वीणा वाहिनी की वंदना से हुआ। डा अशोक शर्मा कहते हैं मैं तुम्हारे पाँव धोता जल बनूँ आकांक्षा है ।
संजय मेहरोत्रा हमनवा ने कृष्ण की जादूगरी पर कहा
देखेगा एक रोज हमनवा, कान्हा रूप सलोने वाले। ये अन्दाज ग़जब के उनके, जैसे जादू टोने वाले। । अरविंद रस्तोगी धवल ने रामगुण गाते हुए
मधुर कंठ से कीजिए, रामायण का गान ।
जहां राम गुणगान हो, लगता स्वर्ग समान।
राम कल्याण करेंगे, बेड़ा पार करेंगे ।।- मन में प्रसन्नता रखकर नंदलाल शर्मा चंचल कहते है
जीवन हो खुशहाल जेब में प्रचुर माल, मन में प्रसन्नता का भाव भी बना रहे।
डा सरिता सदाबहार ने संस्कार और संस्कृति को कविता में कहा।
नीचा नहीं दिखाना हमको
प्रभु से नज़र मिलाना हमको
संस्कार संस्कृति समझाई
बुरा नहीं कहलाना हमको।
महाकुंभ में प्लास्टिक को दूर करने की बात करते हुए कृष्णानंद राय ने सुनाया।
कपड़े के झोले में गिलास थाली रखकर प्रयागराज जाना है। महाकुंभ को प्लास्टिक मुक्त बनाना है।। डा शरद पाण्डे शशांक ने लक्ष्मण मूर्छा पर राम के उद्गार कहे बोल उठे रघुवीर अचानक
गोबर गणेश के नाम से विख्यात प्रदीप शुक्ला जी नववर्ष का स्वागत करते हुए कहते है
प्रभु मुझ पर इतनी कृपा कीजिए
कुछ ज्ञान मुझको भी दीजिए
गोबर का गोबर न रह जाऊं
नव वर्ष मे मेरी अर्जी आप सुन लीजिए।
काव्यश्री’ सम्पत्ति कुमार मिश्र “भ्रमर बैसवारी”- छन्दकार ने बेटी बचाओ पर कहा
बेटी बचाओ, बेटी पढाओ! प्यारी बानी है।
नवदुर्गे की माया की ये सुखद निशानी है।।
अपनों का वह सब कुछ सहती, समझ न पाये कोई;
घिरें “भ्रमर”-अपने कष्टों में, बन जाती कात्यायनी है। भारती पायल कहती हैं ।
करें सेवा पिता माँ की, सुखी जीवन हमारा हो,
डा० हिमांशु सक्सेना “अर्श लखनवी” कहते हैं । सुनो श्री राम की गाथा सभी को हम सुनाते हैं
सनातन धर्म की महिमा चलो मिल आज गाते हैं।
युक्ति श्रीवास्तव कहती हर बार एक साल जाता है और एक नया साल आता है, कुछ पुराना जाता है कुछ नया आता है.. भजनों की श्रृंखला में रचना गुप्ता ने राम नाम को मुक्ति का साधन कहा सुनाया। रामका नाम मुक्ति का साधन , इसके साथ अनेकों कवियो कवियत्रीयो ,और प्रभु भक्तों ने भजन प्रस्तुत किए। ,डॉ अशोक शर्मा,डॉ शरद पांडे शशांक,मनमोहन बऻरऻकोटी, कृष्णानंद राय, नंदलाल शर्मा चंचल,महेश चंद गुप्ता,
श्री संजय मल्होत्रा हमनवा, अरविंद रस्तोगी, हिमांशु सक्सेना
,भारती अग्रवाल पायल, सरिता कटियऻर,सुनीता चतुर्वेदी,युक्ति श्रीवास्तव
प्रवीण शुक्ला ,गोबर गणेश। ,नवनीता , सुषमा प्रकाश , सुधा द्विवेदी , शकुन्तला श्रीवास्तव , साधना मिश्रा , मनु राय, डा तेजस्वी गोस्वामी , डॉ उषा बाजपेई ,डॉ अपूर्वा अवस्थी गीतिका श्रीवास्तव कल्पना उप्रेती स्मिता तिवारी ऊषा यादव ने भजनो की रसधार प्रवाहित की

report by senior journalist-JYOTI KIRAN RATAN

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