बलूचिस्तान के क्वेटा में स्थित सिविल हॉस्पिटल में डॉ महरंग बलूच के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सिविल हॉस्पिटल में घुसकर वहाँ के मुर्दाघर में रखे बलूच विद्रोहियों के शवों को जबरन उठाकर ले गए।
ये वो विद्रोही थे जिन्होंने बोलन में जाफ़र एक्सप्रेस ट्रेन को अगवा किया था और बाद में पाकिस्तानी सेना के जवाबी कार्रवाई में शहीद हो गए थे। इनके परिवार के लोग शवों के पहचान की माँग कर रहे थे लेकिन स्थानीय प्रशासन ने मना कर दिया था। गुस्साए लोगों ने अंत में मुर्दाघर में तोड़फोड़ की और अपने परिजनों के शवों को लेकर वहाँ से निकल गए। पाकिस्तान सरकार ने भी सिविल अस्पताल में हुए इस घटना की पुष्टि कर दी है।
डॉ महरंग बलूच लंबे समय से हाफ विडो महिलाओं को लेकर आंदोलनरत हैं और अपना अहिंसक आंदोलन चला रही हैं। यह पहली बार हो रहा है जब अहिंसक सामाजिक कार्यकर्ताओं और बलूच क्रांतिकारियों के बीच उपस्थित महीन रेखा का उल्लंघन देखने को मिला है। यह आंदोलन लगभग सात दशक से जारी हैं लेकिन इस बार आश्चर्यजनक रूप से इसमें क़बीलाई बलूच समुदायों के अतिरिक्त शहरी मिडिल क्लास और पढ़ालिखा तबका भी शामिल हो गया है। ऐसा माना जा रहा है कि बच्चों और पुरुषों को उठाकर ले जाने से उत्पन्न गुस्से ने इस आंदोलन को अब क़बीलाई बस्तियों से उठाकर मिडिल क्लास के बीच पहुँचा दिया है, वहीं तालिबान की अफ़ग़ान शाखा TTP ने अमेरिका में छोड़े हथियारों को बलूचों तक पहुँचा दिया है जिस कारण अब अच्छे दिमाग़ के बलोच को भी लगने लगा है कि अब हम बराबरी से यह लड़ाई लड़ सकते हैं। TTP के ही कहने पर BLA ने आत्मघाती दस्ता मजीद ब्रिगेड की स्थापना की थी जिसने चीन के इंजीनियरों को बहुत परेशान किया है। इस बार चाहे ट्रेन अपहृत करने का मामला हो अथवा बस में बैठे सैनिकों को उड़ाने का मामला हो, इन दोनों में BLA के आत्मघाती दस्ते मज़ीद ब्रिगेड ने ही मुख्य भूमिका निभाई है। इसके पहले इस प्रकार का प्रशिक्षण भारत के ख़िलाफ़ लश्करे तैयबा को भी मिलता था।
बलूचिस्तान के क्वेटा में स्थित सिविल हॉस्पिटल में डॉ महरंग बलूच के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सिविल हॉस्पिटल में घुसकर वहाँ के मुर्दाघर में रखे बलूच विद्रोहियों के शवों को जबरन उठाकर ले गए।
ये वो विद्रोही थे जिन्होंने बोलन में जाफ़र एक्सप्रेस ट्रेन को अगवा किया था और बाद में पाकिस्तानी सेना के जवाबी कार्रवाई में शहीद हो गए थे। इनके परिवार के लोग शवों के पहचान की माँग कर रहे थे लेकिन स्थानीय प्रशासन ने मना कर दिया था। गुस्साए लोगों ने अंत में मुर्दाघर में तोड़फोड़ की और अपने परिजनों के शवों को लेकर वहाँ से निकल गए। पाकिस्तान सरकार ने भी सिविल अस्पताल में हुए इस घटना की पुष्टि कर दी है।
डॉ महरंग बलूच लंबे समय से हाफ विडो महिलाओं को लेकर आंदोलनरत हैं और अपना अहिंसक आंदोलन चला रही हैं। यह पहली बार हो रहा है जब अहिंसक सामाजिक कार्यकर्ताओं और बलूच क्रांतिकारियों के बीच उपस्थित महीन रेखा का उल्लंघन देखने को मिला है। यह आंदोलन लगभग सात दशक से जारी हैं लेकिन इस बार आश्चर्यजनक रूप से इसमें क़बीलाई बलूच समुदायों के अतिरिक्त शहरी मिडिल क्लास और पढ़ालिखा तबका भी शामिल हो गया है। ऐसा माना जा रहा है कि बच्चों और पुरुषों को उठाकर ले जाने से उत्पन्न गुस्से ने इस आंदोलन को अब क़बीलाई बस्तियों से उठाकर मिडिल क्लास के बीच पहुँचा दिया है, वहीं तालिबान की अफ़ग़ान शाखा TTP ने अमेरिका में छोड़े हथियारों को बलूचों तक पहुँचा दिया है जिस कारण अब अच्छे दिमाग़ के बलोच को भी लगने लगा है कि अब हम बराबरी से यह लड़ाई लड़ सकते हैं। TTP के ही कहने पर BLA ने आत्मघाती दस्ता मजीद ब्रिगेड की स्थापना की थी जिसने चीन के इंजीनियरों को बहुत परेशान किया है। इस बार चाहे ट्रेन अपहृत करने का मामला हो अथवा बस में बैठे सैनिकों को उड़ाने का मामला हो, इन दोनों में BLA के आत्मघाती दस्ते मज़ीद ब्रिगेड ने ही मुख्य भूमिका निभाई है। इसके पहले इस प्रकार का प्रशिक्षण भारत के ख़िलाफ़ लश्करे तैयबा को भी मिलता था।
बलूचिस्तान आंदोलनकारी इस बार पाकिस्तान के क़ब्ज़े पर आरपार की भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। हालांकि यह बात महत्वपूर्ण है कि संख्या और साजोसामान की दृष्टि से BLA का पाकिस्तान की विशाल और प्रभावशाली सेना से कोई तुलना नहीं है, लेकिन जिस तरह की भौगोलिक स्थिति बलूचिस्तान की है, उसका फ़ायदा स्थानीय लड़ाकों को पाकिस्तान सेना की तुलना में बहुत ज़्यादा मिल रहा है। इन लड़ाकों को सैन्य प्रशिक्षण देने का काम भी TTP ही कर रहा है। दरअसल TTP पाकिस्तान के ख़ैबर पख्तूनखा में थोड़ा सक्रिय था लेकिन पाकिस्तान सेना ने इस मामले पर बातचीत करने के बजाय सीधे अफ़ग़ानिस्तान में एयर स्ट्राइक कर दिया। इस स्ट्राइक के बाद अफ़ग़ानिस्तान तालिबान ने TTP के न केवल पाकिस्तान में फ्री हैंड दे दिया बल्कि नीचे बलूचिस्तान में भी सक्रिय कर दिया। TTP के आतंक का मॉडल पूरी तरह से परफ़ॉर्मेंस बेस पर है। इसके अंतर्गत नए शामिल किए गए रंगरूटों को सौ पचास दुश्मनों, पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों को मारने का टारगेट दिया जाता है। TTP के ये नए लड़ाके इन दुश्मनों को मारने के बाद उसका वीडियो बनाकर अपने सीनियर के पास जमा करते हैं और उसका वैरिफ़िकेशन करके न केवल उन्हें लाशों की संख्या के आधार पर खूब धन दौलत मिलता है बल्कि उनकी रैंकिंग भी बढ़ाई जाती है। TTP में प्रमोशन के इस मॉडल ने इसे बेहद लीथल बना दिया है। अब TTP ने यहीं मॉडल BLA में स्थापित करके का काम किया है, इसलिए BLA के लड़ाके अब जल्द से जल्द प्रमोशन के लिए चुन चुनकर सुरक्षाकर्मियों पर हमला कर रहे हैं। बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होगा या नहीं, यह तो बाद की बात है लेकिन फिलहाल यह आग जल्द नहीं बुझने वाली, यह स्पष्ट हो चुका है। हिंसक और अहिंसक नेताओं के बीच की लकीर मिट जाना बड़ी घटना है। आंदोलनकारी इस बार पाकिस्तान के क़ब्ज़े पर आरपार की भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। हालांकि यह बात महत्वपूर्ण है कि संख्या और साजोसामान की दृष्टि से BLA का पाकिस्तान की विशाल और प्रभावशाली सेना से कोई तुलना नहीं है, लेकिन जिस तरह की भौगोलिक स्थिति बलूचिस्तान की है, उसका फ़ायदा स्थानीय लड़ाकों को पाकिस्तान सेना की तुलना में बहुत ज़्यादा मिल रहा है। इन लड़ाकों को सैन्य प्रशिक्षण देने का काम भी TTP ही कर रहा है। दरअसल TTP पाकिस्तान के ख़ैबर पख्तूनखा में थोड़ा सक्रिय था लेकिन पाकिस्तान सेना ने इस मामले पर बातचीत करने के बजाय सीधे अफ़ग़ानिस्तान में एयर स्ट्राइक कर दिया। इस स्ट्राइक के बाद अफ़ग़ानिस्तान तालिबान ने TTP के न केवल पाकिस्तान में फ्री हैंड दे दिया बल्कि नीचे बलूचिस्तान में भी सक्रिय कर दिया। TTP के आतंक का मॉडल पूरी तरह से परफ़ॉर्मेंस बेस पर है। इसके अंतर्गत नए शामिल किए गए रंगरूटों को सौ पचास दुश्मनों, पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों को मारने का टारगेट दिया जाता है। TTP के ये नए लड़ाके इन दुश्मनों को मारने के बाद उसका वीडियो बनाकर अपने सीनियर के पास जमा करते हैं और उसका वैरिफ़िकेशन करके न केवल उन्हें लाशों की संख्या के आधार पर खूब धन दौलत मिलता है बल्कि उनकी रैंकिंग भी बढ़ाई जाती है। TTP में प्रमोशन के इस मॉडल ने इसे बेहद लीथल बना दिया है। अब TTP ने यहीं मॉडल BLA में स्थापित करके का काम किया है, इसलिए BLA के लड़ाके अब जल्द से जल्द प्रमोशन के लिए चुन चुनकर सुरक्षाकर्मियों पर हमला कर रहे हैं। बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होगा या नहीं, यह तो बाद की बात है लेकिन फिलहाल यह आग जल्द नहीं बुझने वाली, यह स्पष्ट हो चुका है। हिंसक और अहिंसक नेताओं के बीच की लकीर मिट जाना बड़ी घटना है।