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बिहार में पिछले दिनों ढहे कई पुल गाँव वालों की शिकायत पर ध्यान न दिया तो ढह जाएगा बाग़मती बाँध

बरसात में धड़ाधड़ गिरते फूल और बांध के कारण पूरे देश में बिहार की बदनामी हो रही है पिछले कुछ हफ्तों में लगभग 13 पुल ढह चुके हैं जांचे कागजो में चल रही और बिहार में पुलों और बांधो के निर्माण कार्यो को लेकर पूरा देश हैरान हैं! यूं तो कहने को बिहार में सुशासन बाबू की सरकार है लेकिन सुशासन बाबू बिहार के जल संसाधन विभाग, खनन विभाग, लोक निर्माण विभाग के भृष्ट अधिकारियो और निर्माण कार्यों का टेंडर लेने वाली कम्पनियो के काकस को तोड़ने में पूरी तरह फेल नजर आ रहे! बिहार के प्रसिद्ध बागमती बाँध के किनारो की साफ सफाई के नाम पर जहाँ एक ओर सरकार को सैकड़ो करोड़ का चूना लगाया जा रहा तो वही दूसरी ओर बांध को लगातार कमजोर किया जा रहा! बाँध बचाने को लेकर लगातार आस पास के गाँवों के लोग सरकार से गुहार लगा रहेअधिकारी जाँच करने रहे लेकिन मामले कागज़ में एक बार फिर दबे जा रहे! ये रिपोर्ट देखिए

बिहार के खगड़िया जिले में प्रसिद्ध बागमती नदी पर बने बांध का काम 2018 में टेंडर के जरिए 650 करोड रुपए में BSCPL दिया गया था BSCPL ने एकरारनामा करके FIPL यानि फ्रंट लाइन इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड को आगे कार्य सौंपा! FIPL ने 35% पर काम कई छोटे ठेकेदारो को दे दिया यानि 650 करोड़ में से केवल 35% रकम से बांध बना बाकि करोड़ो की रकम का बंदरबाँट किया गया हैं! आपको बता दें की FIPL कंपनी के मालिकों की एक और कम्पनी चड्डा एन्ड चड्डा के विरुद्ध पहले ही पंजाब राज्य में धोखाधड़ी का मुकदमा चल रहा है और पंजाब सरकार द्वारा इस कंपनी को ब्लैक लिस्ट स्टेट कर दिया गया है! गाँव वालों की माने तो काम 2021 में ही पूरा हो गया हैं लेकिन बिहार सरकार से और मोटी रकम वसूलने के चककर में आज तक काम को जारी दिखाया जा रहा हैं! इसके लिए अब बांध के दोनों किनारो पर बांध को मजबूत करने के लिए लगे बड़े-बड़े पेड़ो व जड़ी बूटी के पेड़ो को मशीनों द्वारा साफ सफाई के नाम पर उखाड़ा जा रहा

मशीनों के द्वारा इस तरह अनैतिक रूप से खुदाई करने के कारण जरा सी बारिश होने पर बाँध के किनारो पर 8 से 10 फिट के बड़े बड़े गड्डे बन गए हैं और बांध के टूटने का डर गांव वालों को सता रहा हैं. गांव वालों ने इसकी शिकायत बिहार प्रशासन से करें लेकिन उनकी शिकायत का कोई असर नहीं हुआ बिहार सरकार के अधिकारियो ने दौरा करके साफ सफाई का काम करने की रिपोर्ट लगा दी! सवाल यह उठता है कि बिना अनुमति के बांध के दोनों किनारो पर लगे बड़े-बड़े पेड़ और जड़ी बूटी के पेड़ों को आखिर काम करने वाली कंपनी क्यों काट रही हैं? काम कराने वाली कंपनी की भ्र्ष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हैं की कम्पनी ने सैकड़ो शिकायतों के बाद विभाग को खुश करके 5 बार एक्सटेंसन भी करवा लिया हैं.

बड़ी बात ये हैं की इस काम में केंद्र सरकार का भी योगदान हैं लेकिन अभी तक काम करने वाली कंपनी FIPL के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करी जा रही! बिहार के प्रसिद्ध बागमती बांध के किनारो को साफ सफाई के नाम पर जहां एक और सरकार को सैकड़ो करोड़ का चूना लगाया जा रहा तो वहीं दूसरी और बंद को लगातार कमजोर किया जा रहा है!

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