लखनऊ यूपी में न्याय मिल पाना अब आसान नहीं रह गया है। यहां न्याय मांगने वालों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया जाता है, फिर चाहने पुरुष हो या कोई स्त्री
रायबरेली में भी ऐसा ही हुआ, जो कुछ दिन पहले मैनपुरी में हो चुका था। एक पीड़ित और परेशान महिला रचना मौर्य अपनी फरियाद लेकर पुलिस अधीक्षक रायबरेली के ऑफिस जाती है। वहां उसकी बात नहीं सुनी जाती। पहले भी कई जगहों पर शिकायत के बाद उसकी नहीं सुनी गई तो महिला ने आप खो दिया। जोर जोर से बोलने लगी। आला हाकिमों को तेज आवाज वो भी जनता की, बिल्कुल पसंद नहीं। तमाम इल्ज़ाम लगाकर रचना मौर्य को इस भीषण ठंड में जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया।
रचना मौर्य को मदद की बजाय उन्हें जेल मिली। परिवार अब परेशान है। नौकरशाही मदमस्त है। लखनऊ तक इनकी शिकायतें भी अगर पहुंचती है तो आकाओं के माध्यम से सरकार तक बातें ट्विस्ट करके भेज दी जाती है। इसलिए न #मैनपुरी वाले पर कोई कार्रवाई हुई न रायबरेली में किसी सीनियर अधिकारी ने पूछा कि रचना मौर्य नाम की इस गरीब पीड़ित महिला को जेल भेजना इतना जरूरी था..?
रायबरेली में हत्या के एक आरोपी जिसके खिलाफ सबूत था उसको बचाने के लिए पुलिस ने खुद जान की बाजी लगा दी थी। दूसरे जिले में केस ट्रांसफर कर दिए थे। हत्या करने वाला जेल से बच गया था।