1857 की महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीरांगना ऊदा देवी पासी जी के बलिदान दिवस पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वृंदावन सेक्टर 19 में पासी चौराहे पर वीरांगना ऊदा देवी की प्रतिमा का अनावरण किया और पुष्पांजलि अर्पित की।
आयोजित कार्यक्रम में जन समूह को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इतिहास में कई महिलाओं की वीरता छिपा दी गई, लेकिन ऊदा देवी जैसी वीरांगनाएं भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की रीढ़ रहीं। उनकी प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को साहस और कर्तव्यनिष्ठा का संदेश देती रहेगी।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पासी समुदाय ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया, चाहे 1857 की पहली लड़ाई हो या अवध किसान आंदोलन हो। एक आंदोलन में मदारी पासी का योगदान कोई नहीं भूल सकता है। मदारी पासी ने अन्याय के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका। जब किसानों पर बहुत लगान लगाई गई तो मदारी पासी उस समय किसानों के मसीहा बनकर खड़े हुए। उन पर अंग्रेजों ने एक हजार रुपये का इनाम रखा था लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद अंग्रेज मदारी पासी को पकड़ नहीं पाये। राजनाथ सिंह ने दावा किया कि पासी समाज का इतिहास राजा अशोक मौर्य से भी पुराना माना जाता है।
उन्होंने कहा कि मैं आज पासी समाज और हम सभी के नायक महाराजा बिजली पासी का स्मरण करना चाहता हूं, जो पृथ्वीराज चौहान के समकालीन थे। उन्होंने बिजनौर की स्थापना की। उनके शासनकाल की समृद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 12 मजबूत किलों का निर्माण कराया था। यह न केवल उनकी समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि उनकी शक्ति और रणनीतिक कुशलता का भी प्रतीक है। मैं इसे इतिहास की विफलता ही नहीं मानता, बल्कि हमारी सामूहिक जिम्मेदारी में कमी रही कि पासी समाज का जैसा इतिहास लिखा जाना चाहिए, वह नहीं लिखा गया। मुगलों के इतिहास को बढ़ा-चढ़ाकर बताने वालों ने इन वीरों को जो सम्मान मिलना चाहिए वह उन्हें नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि हमारे इतिहास की किताबों में भी मान्यता नहीं मिली। यह हमारा दायित्व है कि हम विस्मृत इतिहास को पुनः सामने लाएं, जो इतिहास मिटाने की कोशिश की गई है, विद्वानों से आह्वान है कि भूले-बिसरे इतिहास को सामने लाएं, ताकि पासी समाज का इतिहास देश की चेतना में फिर से एक बार जागृत हो सके। राष्ट्र की असली ताकत तभी पूरी तरह प्रकट होती है जब हर वर्ग को उसका सम्मान मिले।
ऊदा देवी जी ने अपने अप्रतिम पराक्रम और अदम्य साहस से न सिर्फ अंग्रेज़ी सेना को धूल चटाई, बल्कि राष्ट्र प्रेम का ऐसा मानक स्थापित किया है जो अनंत काल तक भारत के हर नागरिक को प्रेरित करता रहेगा।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास इस तरह प्रस्तुत किया गया कि मानो आज़ादी की लड़ाई सिर्फ एक पार्टी या कुछ विशेष वर्गों ने लड़ी हो। जबकि अनेक हाशिए पर रहे समुदाय दलित, आदिवासी, महिलाएँ और पिछड़े वर्ग भी इस संघर्ष के महत्वपूर्ण नायक थे। उनके बलिदान को इतिहास में उचित स्थान नहीं मिला। हमारा दायित्व है कि इस विस्मृत इतिहास को सामने लाएँ, क्योंकि राष्ट्र की वास्तविक शक्ति तभी प्रकट होती है जब हर वर्ग और हर बलिदान को उसका सम्मानजनक स्थान मिले।
हमारी सरकार ने उन गुमनाम नायकों को भी सामने लाने का कार्य किया है, जिनके योगदान ने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। उनके बलिदान और संघर्ष का स्मरण और सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।
लखनऊ में महाराजा बिजली पासी का स्मारक बनने जा रहा।उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में हमारी सरकार बनी तो महाराजा बिजली पासी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया और हमारी सरकार ने गुमनाम नायकों को आगे लाने का कार्य किया। योगी आदित्यनाथ ने पासी समाज के इतिहास को पाठ्यक्रम में हिस्सा बनाने का जो फैसला किया, उसके लिए उनको बधाई देना चाहता हूं। बहराइच में महाराजा सुहेलदेव का भव्य स्मारक बना है, वैसा ही लखनऊ में महाराजा बिजली पासी का स्मारक बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री जी के इस फैसले की सराहना की जानी चाहिए। ताकि इन वीरों के बारे में आम लोगों को भी जानकारी हो सके।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री कमलेश पासवान सांसद जयप्रकाश रावत, अशोक रावत , वरिष्ठ भाजपा नेता डा० नीरज सिंह जी, डॉ महेंद्र सिंह, महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी ,सदस्य विधान परिषद रामचंद्र सिंह प्रधान, मुकेश शर्मा, पवन सिंह चौहान महापौर सुषमा खर्कवाल प्रदेश महामंत्री प्रियंका रावत, विजय मौर्य, विधायक राजेश्वर सिंह,डा.
नीरज बोरा , योगेश शुक्ला, जया देवी कौशल जी, अमरेश रावत , , दिनेश रावत,पूर्व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर , बैजनाथ रावत, रीना चौधरी, भगवती प्रसाद रावत, राष्ट्रीय अध्यक्ष, पासी महासंघ लक्ष्मी रावत एवं अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।









