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लखनऊ पुस्तक मेला महिला दिवस पर हुआ स्त्री विमर्श की किताबों का विमोचन

लखनऊ, 8 मार्च महिला दिवस पर रवीन्द्रालय चारबाग में चल रहे लखनऊ पुस्तक मेला में स्त्री विमर्श की गूंज रही तो साहित्यिक आयोजनों का दौर दिनभर चला। पहली मार्च से जारी इस मेले का कल रविवार को समापन हो जायेगा। मेले में आज उमड़े पुस्तक प्रेमियों के बीच नवयुग कन्या महाविद्यालय व अन्य कालेज के छात्र छात्राओं के हुजूम भी दिखायी पड़े।
किताबों और साहित्य सागर में यहां हर विषय की किताबें हैं। इन्हीं पुस्तकों में गुजरे दौर के लखनऊ के साथ आज का शहर भी है। अगर किसी को अवध की लखनउआ कहानियां, नवाबी के जलवे, अवध की बेगमें, नक्काल और भांड़, लखनऊ की शायरी फिल्म जगत में लखनऊ की योगदान, यहां के कथक घराने, संगीतकार, इमामबाड़े, यहां के गली मोहल्ले, काकोरी क्रान्ति जैसे राजधानी से जुड़े विषयों की प्रामाणिक जानकारी जानकारी चाहिए तो उसे मेले के स्टाल संख्या 53 पर पहुंचना होगा। यहां लखनऊ पुस्तकमाला की योगेश प्रवीन जैसे विशेषज्ञ लेखकों की सारगर्भित छोटी- छोटी पुस्तिकाएं हैं। इनमें 45वीं पुस्तिका ‘षड़यंत्रों से घिरे लखनऊ के नवाब’ हाल में शामिल हुई है।
मेले के साहित्यिक मंच पर आज कार्यक्रमों का समापन विमोचन भारत नेपाल मैत्री के क्रम में आयोजित कार्यक्रम से हुआ। मनीश शुक्ला के काव्य संग्रह निलम्बित मौन के स्वर का नेपाली भाषा में काठमाण्डू की मीना द्वारा किये अनुवाद ‘प्रतिबंधित मौन’ व एक अन्य किताब मै स्वयं सेवक का विमोचन पूर्व विधानसभाध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने किया। उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल का युगों- युग से आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और आत्मीय संबंध रहा है| यह पुस्तक दोनों देशों के सांस्कृतिक सम्बन्धों की नई गाथा लिखती है| इस अवसर पर भारत नेपाल साहित्य महोत्सव के अध्यक्ष डा.विजय पंडित, अनुवादिका मीना, रेणु मिश्रा ,श्रीधर अग्निहोत्री, लेखक मनीष शुक्ल व हरीश उपाध्याय उपस्थित थे।
सुबह नवसृजन संस्था की ओर से प्रो.उषा सिन्हा की अध्यक्षता में पुष्पा गुप्ता दोसर की काव्यकृति ‘पुष्पांजलि’ का विमोचन हुआ। समारोह में महेशचन्द्र द्विवेदी, डा.सुल्तान शाकिर हाशमी, आचार्य ओम् नीरव, डा.योगेश, डा.शिवमंगल सिंह ‘मंगल’, मंजू सक्सेना, देवेश द्विवेदी ‘देवेश’ शामिल हुए।
इसी क्रम में शिक्षिका डा.रश्मि श्रीवास्तव की स्त्री विमर्श पर केन्द्रित किताबों ‘रेशम के रिबन’ और ‘बैंकबेंचर’ का विमोचन डा.सुधाकर अदीब और डा.अमिता दुबे ने किया। अलका प्रमोद द्वारा प्रेषित रेशम के रिबन पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत हुई तो डा.अमिता दुबे ने बैकबेंचर की समीक्षा करते हुए पुस्तक को विद्यार्थियों, शिक्षकों के लिये उपयोगी बताया। डा.सुधाकर अदीब ने पुस्तकों का सूक्ष्म विश्लेषण किया। बैकबेंचर में विद्यार्थियों की मनःस्थिति सटीक चित्रण के साथ जीत जाने की होड़ से उपजती वेदना, संवेदनहीनता को दर्शाया गया है। शोध छात्रा सुरभि शर्मा ने भी बैकबेंचर पर अपने विचार रखे। ज्योति किरन रतन के संचालन में अनंत बहादुर श्रीवास्तव की पुस्तकों जीव जागरण, साधना भक्ति पथ,‌ स्तुति प्रतीति, स्मृति बोध संस्मरण का लोकार्पण भी मंच पर हुआ। शाम को महिला दिवस पर महिला राज्य और धर्म विषय पर हुये परिसंवाद के संग काव्यपाठ में तस्वीर नकवी, विमल किशोर, कमला गौतम, ऊषा राय, शांतम, आकांक्षा आजाद आदि सम्मिलित हुए। मैक्स हास्पिटल के स्वास्थ्य शिविर का भी पुस्तक प्रेमियों ने लाभ लिया।

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