अपने देश का नाम भारत कब क्यों और कैसे पड़ा इस विषय पर डॉक्टर प्रभाकिरण जैन द्वारा संपादित एवं भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित पुस्तक@ भारतनामा@पर केंद्रित एक चर्चा आज लखनऊ पुस्तक मेला रविंद्रालय चारबाग लखनऊ में शाम 5:00 बजे आयोजित हुई जिसकी अध्यक्षता जाने-माने इतिहासकार डॉ रवि भट्ट ने की इस विषय पर डा रिजवाना जमाल श्री आईपी पांडे श्री नवलकांत सिन्हा आदि ने विचार रखें आप लोगों ने अपने वक्तव्य में बताया की कैसे हमारे देश का नाम अजनाभवर्ष से भारतवर्ष हुआ जिसके साहित्यिक एवं पुरातात्विक प्रमाण पुराण और हाथी गुफा शिलालेख जो 2000 वर्ष प्राचीन है में उल्लेखित है,हमें पढ़ाया जाता है कि अपने देश का नाम दुष्यंत एवं शकुंतला पुत्र भरत के नाम से भारतवर्ष पड़ा, जबकि साहित्य परंपरा एवं पुरातात्विक प्रमाण इस विषय को स्पष्ट नहीं कर पाते भगवान ऋषभदेव के पुत्र चक्रवर्ती भरत के नाम पर भारतवर्ष होने के अनेक प्रमाण प्राचीन साहित्य पुरातत्व में उपलब्ध होते हैं जैसा कि श्री मद् भागवत (5/7/3)मे उल्लेखित है कि अंतिम मनु नाभिराय के नाम से विख्यात यह देश अजनाभ वर्ष कहलाता था जो आगे चलकर उनके पौत्र प्रथम चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर भारतवर्ष होना प्रमाणित होता है इसी प्रकार अन्य पुराणों मे इसका समर्थन होता है,
पुस्तक मेला के आयोजक श्री मनोज चंदेल के संयोजन में श्रीमती अलका प्रमोद ने संचालन किया और संयोजक शैलेंद्र जैन ने आए हुए सभी अतिथि और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया
डॉक्टर प्रभाकिरण जैन द्वारा संपादित एवं भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित पुस्तक भारतनामा पर चर्चा लखनऊ पुस्तक मेला आयोजित हुई
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