श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर हलवासिया कोर्ट हजरतगंज में टाउन हॉल संगोष्ठी का आयोजन किया गया। पुण्यतिथि पर देश के लिए उनके योगदान को याद करके कार्यकर्ताओं ने नमन किया और डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रदेश उपाध्यक्ष लखनऊ प्रभारी त्रयंबक त्रिपाठी ने डॉ. मुखर्जी के व्यक्तित्व, कृतित्व और उनके विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए अपना जीवन बलिदान किया।जम्मू-कश्मीर के पूर्ण एकीकरण और देश की एकता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने बताया कि डॉ. मुखर्जी ने कांग्रेस की नीतियों से असहमति के बावजूद महात्मा गांधी के अनुरोध पर आज़ाद भारत की पहली सरकार में शामिल होना स्वीकार किया था। लेकिन बाद में पंडित नेहरू द्वारा उन्हें और डॉ. अंबेडकर जैसे महान विचारकों को उपेक्षित किया गया, जिसके चलते उन्होंने सरकार से इस्तीफा दे दिया। डॉ. मुखर्जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
डॉ. साहब का सपना था कि देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं होने चाहिए। जम्मू-कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय हो और धारा 370 को समाप्त किया जाए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने डॉ. मुखर्जी के इस सपने को साकार किया है।डॉ. मुखर्जी जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाये रखने के लिए वैचारिक और राजनीतिक रूप से आजीवन संघर्षरत रहे।
महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि जनसंघ के संस्थापक डॉ. मुखर्जी युग पुरुष थे, जिन्होंने देश की एकता और अखंडता के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। उनका मानना था कि धर्म के आधार पर बंटवारा नहीं होना चाहिए इसका उन्होंने भरपूर विरोध किया।
मीडिया प्रभारी प्रवीण गर्ग ने बताया कि संगोष्ठी में अंजनी श्रीवास्तव, रजनीश गुप्ता, महामंत्री राम अवतार कनौजिया, गिरीश गुप्ता, सुधीर हलवासिया, मानसिंह, रमेश तूफानी, हर शरण लाल गुप्ता, यूएन पांडे, अभिषेक खरे, सीता नेगी, मधुबाला त्रिपाठी बड़ी संख्या में उपस्थित कार्यकर्ताओं ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।