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Homeप्रदेशराष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूर्ण होने पर मनाया जाएगा उत्सव

राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने पर मनाया जाएगा उत्सव

लखनऊ कैसरबाग स्थित भाजपा लखनऊ महानगर कार्यालय पर प्रेस वार्ता में महानगर अध्यक्ष आनन्द द्विवेदी ने बताया कि 1 अक्टूबर 2025 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रगीत “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पूरे देश में उत्सव मनाने का निर्णय लिया। राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने पर पार्टी द्वारा मनाये जाने वाले उत्सव और अभियानों में 07 नवम्बर 2025 को उत्तर प्रदेश के 18 अलग-अलग स्थानों पर 150 कार्यकर्ताओं द्वारा सामूहिक “वंदे मातरम् गायन एवं सभा का आयोजन किया जाएगा। जिसमें भाजपा लखनऊ महानगर द्वारा सीतापुर रोड स्थित सेट जोसेफ स्कूल में सुबह 10 बजे सामूहिक वंदे मातरम् गायन का कार्यक्रम आयोजित किया गया ।

ये कार्यक्रम 08 से 15 नवम्बर 2025 तक सभी मण्डल स्तर पर सामूहिक गायन एवं सभा के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। विधानसभा स्तर पर माननीय सांसदों, विधायकों के नेतृत्व में कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। मण्डल स्तर पर आम जनमानस की सहभागिता के साथ वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ के सामूहिक गायन का कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। अभियान के तहत तिरंगा यात्राएँ, प्रभात फेरियाँ, बाइक रैलियाँ प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में जनभागीदारी के साथ निकाली जायेंगी।प्रदर्शनी लगाकर साहित्यिक गतिविधियों भी आयोजित की जायेंगी।
विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में राष्ट्रगीत “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूर्ण होने पर निबंध, कविता व चित्रकला की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जायेगी।

यह गीत वर्ष 1875 में श्री बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचा गया था। “वंदे मातरम्” का प्रसिद्ध वाचन वर्ष 1896 में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा कोलकाता में किया गया था। “वंदे मातरम्” केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह भारत की आत्मा की आवाज़ है। यह वह स्वर है जिसने गुलामी की बेड़ियों में जकड़े भारत को आज़ादी की राह दिखाई। जब-जब देश पर संकट आया, यह गीत हर भारतीय के हृदय में नई ऊर्जा, साहस और एकता का संचार करता रहा। “वंदे मातरम्” में केवल मातृभूमि की स्तुति नहीं, बल्कि उसमें राष्ट्र के प्रति श्रद्धा, त्याग और समर्पण की भावना भी निहित है। यही कारण है कि यह गीत स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हर आंदोलन, हर सत्याग्रह और हर बलिदान का प्रेरणास्त्रोत बना। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने वर्ष 1950 में “वंदे मातरम्” को राष्ट्रगीत का दर्जा प्रदान किया। देशभर में विभाजन के विरोध में हुए आंदोलनों के दौरान वंदे मातरम् राष्ट्रवाद, एकता और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रतिरोध का सशक्त प्रतीक बन गया। इसकी प्रबल राष्ट्रीय भावना और प्रेरक प्रभाव के कारण ब्रिटिश सरकार ने इस नारे के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था।

कार्यक्रम में संयोजक डॉ विवेक सिंग तोमर, अनुराग साहू, विनय पटेल, नम्रता श्रीनेत, आकाश सिंह, उपस्थित रहें।

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